सोमवार, 20 सितंबर 2021

पुलिस पर कभी भी किसी का भी दबाव काम नहीं कर सकता बशर्ते ..



अपराधों की जांच की निष्पक्षता और वैज्ञानिकता बनाए रखना आईपीएस अधिकारियों का मूल कर्तव्य है....ऐसी जांचों में किसी भी राजनीतिक व्यवसायी का हस्तक्षेप विनम्रतापूर्वक अस्वीकृत कर देना चाहिए...

कोलकाता के पूर्व पुलिस आयुक्त शायद इसी अस्वीकार्य  को स्वीकृत कर लेने के कारण संकट में हैं...

... मैं एक घटना बताता हूँ !  बेतिया में DIG था उस वक़्त .. 

एक माननीय का फोन आया - " मैं फलाना बोल रहा हूँ..कैसे हैं पांडेय जी." 

मैंने कहा - " जी बिल्कुल कुशल है.. आप कैसे हैं  " उन्होंने कहा - " सब ठीक है..मोतिहारी में एक इंस्पेक्टर निलम्बित है ..वह अपना आदमी है .. निर्दोष है लेकिन फँस गया है भ्रष्टाचार के मामले में..उसको रिलीज़ कर देते .." 

मैंने अति विनम्रता के साथ उत्तर दिया - " आप कृपया एक ऐफिडेविट कर के मुझे भेज दें कि वह इंस्पेक्टर आपका आदमी है और  निर्दोष है तो मैँ उसकी समीक्षा कर लूँगा फिर जो उचित होगा वह मैं अवश्य कर दूँगा .." 

.... वे कुछ असहज होकर बोले - " अजीब बात करते हैं आप DIG साहब ..मैं ऐफिडेविट में कैसे लिख दूँ कि कि मेरा आदमी है .." 

...मैंने फिर अति अति अति विनम्र होते हुए कहा - " अभी आपने ही तो कहा कि वो आपका आदमी है और निर्दोष है तो इसे लिखकर देने में क्या हर्ज है .."

... वे कुछ नाराज़ से होकर बोले -" फलाने से भी मेरी बात होती है उन्होंने तो ऐसा कभी नहीं कहा ..अब तो आपसे मैं कभी बात नहीं करूँगा .." 

.... मैंने पुनः आभारभावपूरित विनम्रता से कहा - " ये तो बड़ा अच्छा ही होगा कि आप मुझसे फिर कभी बात नहीं करेंगे .. धन्यवाद !" 

..... इसके बाद उस दूरभाषीय वार्तालाप का विच्छेद हो गया ..

... बस, इससे ज़्यादा कुछ नही होता अगर कोई पुलिस अधिकारी जांच में राजनीतिक व्यवसायियों का हस्तक्षेप अस्वीकृत कर दे ! अधिक से अधिक एक पद से दूसरे पद पर विराजमान होने का अवसर मिल सकता है ..

....और यदि अस्वीकार्य को स्वीकृत कर ले कोई तो संभव है अनुकूल ग्रहदशा के कारण संकट में न फॅसे किन्तु संकट में फंसने के भय से वह सदा पीड़ित रहेगा और भयग्रस्त जीवन का दूसरा नाम नरक और गुलामी है ...

🇮🇳 अरविंद पांडेय 🇮🇳

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अरविन्द पाण्डेय आईपीएस, डीजी सिविल डिफ़ेंस बिहार के पद पर सम्प्रति कार्यरत हैं .

Arvind Pandey IPS is posed as DG civil defence Bihar.

रविवार, 19 सितंबर 2021

झूठे मुकदमें से कैसे बचें ?

झूठे मुकदमें से कैसे बचें ?
अनेक लोगों ने मुझसे ये पूछा है कि जब कोई किसी के ऊपर झूठा मुकदमा करा दे तो उससे कैसे बचा जाय ?
इस सम्बन्ध में यह सभी जानते हैं कि पुलिस, ९९%  मामलों में स्वयं  मुकदमा दर्ज नहीं करती..थाना में मुकदमा दर्ज होने के लिए एक शिकायतकर्ता आवश्यक  होता है जो थाना में लिखकर देता है कि अमुक अमुक व्यक्ति ने ये अपराध किया है..
अब जिन व्यक्तियों के विरुद्ध अपराध का आरोप होता है वे अभियुक्त बन जाते हैं.किन्तु आप यह जान लें कि पुलिस अनुसंधान की प्रक्रिया में पहले मुकदमा दर्ज होता है फिर उसका पर्यवेक्षण पुलिस उपाधीक्षक द्वारा किया जाता है .. 
जब पर्यवेक्षण में उपाधीक्षक, अभियुक्तों के विरुद्ध साक्ष्य होने की पुष्टि करते हैं तब वे अपनी पर्यवेक्षण टिप्पणी जिले के पुलिस अधीक्षक के समक्ष भेजते हैं...
अब जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा उपाधीक्षक की पर्यवेक्षण टिप्पणी की समीक्षा की जाती है और यदि वे सहमत होते हैं तब अभियुक्तों के विरुद्ध गिरफ्तारी का आदेश देते हैं..
अर्थात किसी मुकदमें में गिरफ्तारी के लिए उपाधीक्षक और पुलिस अधीक्षक की सहमति भी आवश्यक होती है, केवल थानाध्यक्ष या अन्वेषक ही निर्अणय लेने के लिए अधिकृत नहीं होते...
इसलिए जब भी किसी व्यक्ति को लगे कि उसके विरुद्ध झूठा मुकदमा किया गया  है तब उसे तुरंत अपनी निर्दोषिता साबित करते हुए एक आवेदन मुकदमें के 
१. अनुसंधानकर्ता, 
२.थानाध्यक्ष,  
३. उस क्षेत्र के पुलिस उपाधीक्षक और 
४. जिला पुलिस अधीक्षक को तुरंत देना चाहिए..
आजकल सभी के  पास whatsapp और ईमेल की भी सुविधा है...आप इन माध्यमों से प्रतिदिन कई बार अपना आवेदन भेज सकते हैं... यदि चाहें तो सभी वरीय पुलिस अधिकारियों को यह आवेदन दे सकते हैं.. यह भी ध्यान रहे कि ऐसे मामलों में दूसरों से पैरवी नहीं कराएं अन्यथा अधिकारियों को आपकी निर्दोषिता पर संदेह हो सकता है...
यहाँ यह भी ध्यान देने योग्य है कि कोई भी व्यक्ति बिना कारण झूठा मुकदमा भी किसी के विरुद्ध  नहीं करता..कोई न कोई कारण अवश्य होता ....इसलिए, झूठे मुकदमें से पीड़ित व्यक्ति को उस कारण का पताकर उसका भी समाधान करना चाहिए...
शुभकामनाओं सहित,
अरविन्द पाण्डेय डीजी सिविल डिफ़ेन्स, बिहार.

मंगलवार, 22 सितंबर 2020

रचनात्मक पुलिसिंग के समाचार

बिहार में कमजोर वर्गों से सम्बंधित अपराधों के अनुवीक्षण और नियंत्रण हेतु पुलिस महानिरीक्षक, कमज़ोर वर्ग,अपराध अन्वेषण विभाग के नियंत्रणाधीन अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति संरक्षण केंद्र है... पुलिस महानिरीक्षक कमजोर वर्ग के मेरे कार्यकाल में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए गए जिनमें से कुछ के सम्बन्ध में समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार प्रस्तुत हैं..

गुरुवार, 3 सितंबर 2015

खेल सम्मान समारोह 29 अगस्त 2015....पाटलिपुत्र खेल परिसर

कला, संस्कृति एवं युवा विभाग तथा बिहार राज्य खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित दिनांक 29 अगस्त 2015 को खेल समारोह का आयोजन...
इस समारोह का उदघाटन श्री नीतीश कुमार, माननीय मुख्यमंत्री, बिहार के उपस्थिति में दीप प्रज्जवलित कर हुआ तथा अध्यक्षता श्री राम लषण राम रमण माननीय खेल मंत्री ने किया एवं उपस्थित अतिथियों का धन्यवाद् ज्ञापन श्री अरविन्द पाण्डेय, महानिदेशक, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण ने किया। अरविन्द पाण्डेय महोदय ने कहा की राज्य में जिला/प्रखंड स्तर पर खेल/खिलाडियों प्रोत्साहित करने एवं बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्टेडियम बनाने का कार्य चल रहा है...माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने कहा की खेल संसाधनों का विकास जरुरी है इसके लिए सरकर काम कर रही है.... खेल सम्मान से कुल 248 खिलाडियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर दिवंगत फुटबॉलर सी.प्रसाद को बिहार खेल बिभूति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस शुभ अवसर पर मुख्यमंत्री के सचिव श्री चंचल कुमार, मुख्य सचिव श्री अंजनी कुमार, खेल विभाग के सचिव श्री विवेक कुमार सिंह, खेल निदेशक श्री अरविन्द ठाकुर तथा खेल प्राधिकरण एवं खेल विभाग के कर्मचारी/अधिकारी मौजूद रहे।































































पुलिस पर कभी भी किसी का भी दबाव काम नहीं कर सकता बशर्ते ..

अपराधों की जांच की निष्पक्षता और वैज्ञानिकता बनाए रखना आईपीएस अधिकारियों का मूल कर्तव्य है....ऐसी जांचों में किसी भी राजनीतिक व्यवसायी का हस...