रविवार, 2 मार्च 2014

पुलिस वर्दी पर हिन्दी+उर्दू में नाम-पट्टिका अनिवार्य की गयी




रांची में वर्ष 1990 से प्रशिक्षु ए एस पी के समय से ही मैंने वर्दी पर नाम-पट्टिका -- हिन्दी अर्थात देवनागरी और उर्दू अर्थात अरबी लिपि में ही बनाकर धारण किया और आज भी वही नामपट्टिका मेरी वर्दी का अंग है....
.... और मैंने अपने अधीनस्थों को ऐसा करने का निर्देश दिया और उसे क्रियान्वित किया....
कारण - बस इतना कि राजभाषा अधिनियम का पालन हो...
.............. बिहार में हिन्दी और उर्दू राज भाषाएँ हैं..... 
........... अतः सारे प्रशासनिक कार्य और नाम-पट्टिकाएं इन्हीं दोनों भाषाओं में होनी चाहिए....
......... दरभंगा प्रक्षेत्र के दस जिलों में सभी पुलिस कर्मी और अधिकारी ऐसी नाम-पट्टिकाएं बना बना कर धारण कर रहे हैं.....
............ उर्दू में नाम-पट्टिका बनाने वाले लोगो की संख्या अत्यल्प होने के कारण अभी गति धीमी है किन्तु हम जल्दी ही शत-प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त कर लेगें...



पुलिस पर कभी भी किसी का भी दबाव काम नहीं कर सकता बशर्ते ..

अपराधों की जांच की निष्पक्षता और वैज्ञानिकता बनाए रखना आईपीएस अधिकारियों का मूल कर्तव्य है....ऐसी जांचों में किसी भी राजनीतिक व्यवसायी का हस...